तेरह अक्टूबर को दतिया के एक मंदिर में भगदड़
मचने से करीब 115 लोग मर गए और सौ से अधिक घायल हो गए.उस से एक
दिन पहले मैंने सावधान इंडिया में एक कार्यक्रम देखा जिसमें दिखाया गया था कि एक
व्यक्ति का दूसरे शहर में ट्रांसफर होता है.वहां के एक स्कूल में उसकी बेटी दाखिला
लेती है,जो जींस पहनकर स्कूल जाती है.वहां एक लड़का अपने साथियों सहित भारतीय
संस्कृति की रक्षा के लिए ऐसी लड़कियों को धमकाता है और उसके खौफ से ऑटो वाले जींस
पहनने वाली इन लड़कियों को स्कूल छोड़ने नहीं जाते.उस लड़की ने पुलिस में कंप्लेंट की
पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की.लड़की की माँ ने उस गुंडे का विरोध किया तो उसने
उसी का मर्डर कर दिया.पुलिस ने उसे पकड़ा पर एक नेता ने यह कह कर उसे उसे छुड़वा
दिया कि वह भारतीय संस्कृति की रक्षा कर रहा है.लड़की ने अपने स्कूल की छात्राओं के
साथ मिलकर प्रदर्शन किया और अंत में उसे गिरफ्तार किया गया.यह टीवी प्रोग्राम सत्य
घटनाओं पर आधारित होता है.
आठ-दस दिन से लाइफ ओके पर महादेव सीरियल में
तंत्र-मन्त्र को बढ़ावा देने वाली चीज़ें दिखाई जा रही हैं.इस तरह के सीरियलों में
तंत्र-मन्त्र,जादू-टोना,भाग्य,ब्राह्मणवाद
और धार्मिक अंधविश्वासों को बेहद मज़बूती से स्थापित किया जाता है और सबसे खतरनाक
यह है कि इन में यह स्थापित किया जाता है कि यह सब देवी-देवता व ईश्वर की इच्छा से
होता है और उसके पीछे उनका मूल उद्देश्य मानवता की भलाई करना है.इन सीरियलों के
अलावा ज्योतिष,तंत्र-मन्त्र,भूत-प्रेत जैसी
तमाम चीज़ें चैनलों पर रात-दिन चलती ही रहती हैं.
कुछ दिन पहले नरेंद्र दाभोलकर की हत्या
हुई थी वे जन्तर-मंतर ,जादू-टोना
और तथाकथित भगवानों के विरुद्ध एक क़ानून बनाने की मांग कर रहे थे और इस मांग का
भाजपा,शिवसेना सहित कई
हिन्दू संगठन विरोध कर रहे थे.उसके बाद भगवान को अपना यार बताने वाले,धार्मिक गुरू आसाराम पर बलात्कार का
आरोप लगा और उसके साथ ही उसके पुत्र नारायण साईं पर बलात्कार का आरोप लगा है और वह
अभी तक पुलिस की पूछताछ से भाग रहा है और इन दोनों के तमाम अपराधों का रोज़-रोज़
खुलासा हो रहा है.भाजपा आसाराम का समर्थन करती रही है और कुछ हिन्दू संगठन के लोग
चैनलों पर आसाराम के बचाव में जमे हुए हैं.
अभी
एक साधू ने सपना देखा है कि उन्नाव में एक हज़ार टन सोना गड़ा है.एक केन्द्रीय
मंत्री साधू का भक्त है और उसने सरकार से सिफारिश कर वहां खुदाई शुरू करा दी
है.इससे यह पता चलता है कि इस देश में साधू कि हैसियत क्या है .
चंद
दिनों में घटी इन तमाम घटनाओं को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि इस देश में
अंधविश्वास व धर्म की जड़ें कितनी गहरी हैं.ऐसे में आसाराम जैसे लोग भी करोड़ों
लोगों को धर्म के नाम पर इधर से उधर रौंदे फिर रहे हैं तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं
होना चाहिए.
आज़ादी के बाद
देश में पूंजीवादी लोकतांत्रिक व्यवस्था ज़रूर कायम हुई परन्तु पुरानी सामंतवादी
व्यवस्था समाप्त नहीं हुई और वह अपने धार्मिक स्वरूप में कट्टरता के साथ उभरती
रहती है.एक तरफ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ व उसकी राजनीतिक शाखा भाजपा जैसी घोषित
धार्मिक राजनीतिक पार्टियां हैं तो दूसरी ओर दूसरी राजनीतिक पार्टियां अवसरानुसार
अपने फ़ाइदे के लिए धर्म का साम्प्रदायिकता की हद तक इस्तेमाल करने से नहीं
हिचकिचाती हैं.अपने धार्मिक स्वरूप में सामंतवाद अभी भी भारतीय समाज में गहराई तक
जड़ें जमाए हुए है और हमारी राज्य व्यवस्था उसकी जड़ों को निरंतर खाद-पानी देती
है.लोगों की धार्मिक जड़ता उनके लिए फ़ाइदे की चीज़ है.ऐसे में रामदेव व आसाराम जैसे
लोग धर्म की आड़ में अपना हज़ारों करोड़ का गोरखधंधा चला रहे हैं,करोड़ों
लोग धर्म उपदेशकों के पीछे दौड़े फिर रहे हैं , पूजास्थलों में मारे फिर रहे हैं और
वहां मची भगदड़ में अपनी जान गँवा रहे हैं,धार्मिक अंधविश्वासों का विरोध करने
वालों को धार्मिक संगठन न सिर्फ धमकियां दे रहे हैं बल्कि दिन दहाड़े उनकी हत्या भी
कर रहे हैं,संस्कृति बचाने के नाम पर महिलाओं को गुंडे
दौड़ा-दौड़ा कर पीट रहे हैं और प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है तो इसमें कोई आश्चर्य
की बात नहीं होनी चाहिए. समाज को धार्मिक कूपमंडूकता से निकालने के लिए
इसे बढ़ावा देने वाले हर मोर्चे के विरुद्ध मोर्चा खोलना पडेगा और यह काम इस लिए
आसान नहीं होगा क्यों कि राज्यसत्ता इन्हें पूरा संरक्षण देती है.