आज के समय में धर्म व्यक्ति को जीना नहीं सिखा सकता लड़ना तो सिखा सकता है. (Dedicated to Religious Critic & Scientific Development)
Wednesday 27 April 2011
.सत्य साईं बाबा जो सत्य नहीं था
'औरों जैसे होकर भी हम बाइज़्ज़त हैं बस्ती में,
कुछ लोगों का सीधापन है कुछ अपनी अय्यारी है.'
निदा फ़ाज़ली का ये शेर सत्य साईं बाबा पर एकदम सटीक बैठता है. सत्य साईं बाबा ने भी कुछ लोगों के सीधेपन का फ़ाइदा उठाकर और कुछ अपनी अय्यारी द्वारा औरों जैसे होकर भी अपने आपको भगवान मनवा लिया. आज तमाम देशों में क़रीब 60 लाख उनके भक्त भगवान की तरह मानते हैं. दर्ज़नों लोग भगवान बनने की प्रक्रिया में हैं. दुर्भाग्य्पपूर्ण है कि ऐसे लोगों की सच्चाई दुनिया को बताने के बजाय व्यवस्था धर्म और अध्यात्म की झालर- पन्नी लगा कर उन्हें और चमकीला बना देती है.
सत्य साईं बाबा का जन्म 23 नव. 1926 ई. को पुट्टपर्थी आंध्र प्रदेश में हुआ था.बचपन का नाम सत्यनारायन राजू था. 14 वर्ष की उम्र में एक बार उन्हें बिच्छू ने काट लिया. वे कुछ दिन बाद ठीक हो गए. इस बीच मनसिक स्थिति ठीक न होने के कारण वे कुछ असामान्य बातें करते रहे. उसके कुछ समय बाद 20 अक्टूबर 1940 को उन्होंने घोषणा की कि वे शिरडी के साईं बाबा के दूसरे अवतार हैं. उसके बाद साईं बाबा ने चमत्कार दिखाने शुरू किए. वे हवा में हाथ लहरा कर पवित्र राख, अॅगूठी, घड़ी आदि पैदा कर देते थे. शिवरात्रि के दिन वे मुँह से शिव लिंग निकाल कर अपने भक्तों को देते थे.
प्रसिद्ध जादूगर पी.सी. सरकार जूनियर ने उनसे कई बार मिलने की इज़ाजत चाही पर उन्हें इज़ाजत मिली नहीं . अंततः पी.सी सरकार ने अपने आप को पश्चिमी बंगाल के बड़े उद्योगपति का बेटा बताया तो साईं बाबा उन्से मिलने को तैयार हो गए.
पी.सी सरकार ने साईं बाबा से गिफ़्ट पैदा करने की इच्छा ज़ाहिर की. साईं बाबा एक कमरे में गए फिर उन्होंने हवा में हाथ लहरा कर संदेस(बंगाली मिठाई)पैदा कर पी.सी. सरकार को दे दिए. पी.सी सरकार ने कहा उन्हें संदेश पसंद नहीं हैं और उन्होंने हवा में हाथ लहरा कर रसगुल्ला साईं बाबा को दे दिए. उन्होंने अपना परिचय दिया तो साईं बाबा ने अपने भक्तों से पी सी सरकार को बाहर निकलवा दिया. उसके बाद पी.सी सरकार ने हवा में चीज़ें पैदा करने की साईं बाबा की हर ट्रिक का पर्दाफ़ाश किया. पी.सी सरकार ने उनके बारे में कहा -वे दैवीय शक्ति से संपन्न नहीं हैं. जहाँ तक कि वे अच्छे जादूगर भी नहीं हैं. वे इतने ढोंगी हैं कि उन्होंने सभी जादूगरो का नाम खराब किया हुआ है. मैं सोचता हूँ उन्हें अत्यधिक अभ्यास करना चाहिए.
कुछ समय बाद साईं बाबा ने एक मैरिज हौल खुलने के उपलक्ष में एक बड़ा आयोजन किया. आयोजन में हिस्सा ले रहे विशाल श्रोता, जिनमें प्रधानमंत्री पी.वी नरसिम्हा राव भी शामिल थे, के सामने बाबा ने हवा में सोने की चेन पैदा करने का कारनामा किया. बाबा के लिए दुर्भाग्यपूर्ण यह रहा कि इसे हैदराबाद दूरदर्शन ने कवर किया था. जब टेप को दोबारा देखा गया तो केमरा ने सच्चाई पकड़ ली. टेप में बाबा का असिस्टेंट चेन दे रहा था बाद में बाबा की पहुँच के चलते हैदराबाद दूरदर्शन ने वह टेप समाप्त कर दिया.
इसके बाद भी बाबा के चमत्कार जारी रहे. रक्षा विभाग के पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार एस. भगवंतम के मंद बुद्धि पुत्र के बीमार होने पर बाबा ने उसके शरीर पर भभूति मली और एक लंबी सुई से रीढ़ की हड्डी से पानी निकाल कर ड्रेसिंग करा दी. बच्चा ठीक हो गया. हालांकि बाद में भगवंतम ने कहा- बाबा झूठा है और बाबा से अपने सारे संबंध समाप्त कर लिए.(miracle man or petty magician? On www.saibaba-x.org.uk/15/sunday magazine.html)
धार्मिक आस्था व्यक्ति को किस हद तक अंधा बना देती है साईं बाबा इस बात का बहुत बड़ा उदाहरण हैं. उनके चमत्कारों की बार-बार पोल खुली, उनकी जादुई ट्रिकों का पर्दाफ़ाश हुआ, जहाँ तक कि उनके समलैंगिक संबंध भी प्रकाश में आए पर साईं बाबा को मानने वाले भक्तों की संख्या में कमी नहीं आई.उनके अधिकांश भक्त अपर क्लास और अपर मिडिल क्लास के होते थे परंतु आम आदमी से लेकर प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति, सिने अभिनेता, क्रिकेटर्स,आई.ए.एस आदि प्रशासनिक अधिकारी, डॉक्टर,इजीनियर्स, वैज्ञानिक सभी उनके भक्तो व प्रशंसकों में शामिल हैं.
इन सबके लिए हमारे समाज के वैज्ञानिक बोध के स्तर में कमी होना तो है ही शासक वर्ग व मीडिया द्वारा इन चीज़ों को स्थापित करना भी बड़ा कारण है. मीडिया इस तरह की घटनाओं की सच्चाई बताने के बजाय अत्यधिक मात्रा में उनका महिमा मंडन करता है. दर अस्ल इस तरह की अज्ञानिक बातों की समाज में बड़ी वजह मीडिआ के धुआधार प्रचार के साथ एक चेन सिस्टम का बन जाना है. लोग अपने आप को इस तर्क से संतुष्ट कर लेते हैं कि इतने लोग मानते हैं तो कोई न कोई सच्चाई ज़रूर होगी. ऐसे में बड़े राजनेता, डॉक्टर इजीनियर,प्रशासनिक अधिकारी भी जुड़ जाएँ तो इस तरह के धार्मिक क्रिया कलापों को अत्यधिक मान्यता मिल जाती है. जैसे तेल देशी जड़ी बूटियों से तंबू तानकर इलाज़ करने वाले तथाकथित हक़ीम जनता में विश्वास जमाने के लिए अपने साथ पुलिस वालों की फॉटो खिंचवा कर लगा लेते हैं. इसी तरह मीडिआ अपनी तरह से इन चीज़ों को मैनेज करता है. जैसे 24 अप्रेल सुबह 7:40 पर साईं बाबा की मौत हुई. पूरा मीडिआ साईं बाबा के गुणगान में लगा है. अवसरानुकूल उन लोगों से भी साईं बाबा की प्रशंसा में लिखवा रहा है या कहलवा रहा है जो साईं बाबा के कटु आलोचक रहे हैं. जैसे पी.सी सरकार का ज़िक्र मीडिआ बार-बार कर रहा है-वे कह रहे हैं बाबा के चमत्कार भले ही झूठे हों पर वे उनके परोपकारी कार्यों की प्रशंसा करते हैं . 26 अप्रेल के हिंदुस्तान ने पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे अब्दुल क़लाम का लेख ''परिवर्तन के अग्रदूत सत्य साईं बाबा'' प्रकाशित किया है. उन्होंने लिखा है-बाबा देश के लोगों की बुनियादी ज़रूरतों को लेकर बेहद संजीदा थे,खासकर आंध्र प्रदेश व कर्नाटक के लोगों के लिए.
कलाम साईं बाबा के स्कूल,अस्पताल व पेयजल से जुड़े कार्यों की भरपूर प्रशंसा करते हैं और अंत में लिखते हैं - क्या निःस्वार्थ सामाजिक बदलाव का बाबा से बड़ा रोल मॉडल कोई और हो सकता है?
एक बाबा जिसका पूरा जीवन धार्मिक ढोंग व पाखंड पर टिका था और जिसने उससे अथाह दौलत इकट्ठी की उसके बारे में एक वैज्ञानिक(?) की इतनी प्रशंसा लोगों के बीच उसको ईश्वर माने जाने की अवधारणा को और पुष्ट करेगी.
साईं बाबा ने अपनी धार्मिक पहुँच से अनुमानतः डेढ़ लाख करोड़ की चल-अचल संपत्ति इकट्ठी की. यह स्वामी सेंट्रल ट्रस्ट द्वारा संचालित होती थी. बाबा के अलावा इस ट्रस्ट में 6 न्यासी और 4 सदास्यो वाली प्रबंध परिषद थी.न्यासियों में बाबा के अतिरिक्त पूर्व मुख्य न्यायधीश पी.एन भगवानी, पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त एस.वी. गिरी बाबा का भतीजा आदि शामिल थे.
आज जनता में बाबा के सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल, कॉलेज व पेय जल से जुड़े कार्यों की काफ़ी चर्चा है. ऐसे में हाल ही में श्रेया अय्यर की अगुआई में केंब्रिज यूनिवर्सिटी द्वारा भारत में 568 धार्मिक संगठनों पर किया गया शोध याद आता है. शोध में बताया गया है कि धार्मिक संगठानो में व्यापारिक संगठानो की तरह ही कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है. वे अपने अनुयाइयों को लुभाने के लिए तरह तरह के जनोपयोगी कार्यों का संचालन करते हैं. वैसे बाबा ने ये परियोजनाएँ चला कर समझदारी का ही काम किया. इतनी अथाह दौलत से कुछ हिस्सा निकाल कर ये परियोजनाएं चलाईं तो आज क़लाम जैसे लोग भी सामाजिक बदलाव का सबसे बड़ा रोल मॉडल बता रहे हैं वरना आज उनके बारे में दो तरह की ही बातें हो रही होती उनके अनुयाई और शासक वर्ग उन्हें भगवान घोषित कर रहे होते तो उनके आलोचक उनके धार्मिक पाखंड व धूर्ता की पोल खोल रहे होते.
लेकिन इस देश का दुर्भाग्य 24 अप्रेल 2011 को सत्य साईं बाबा की मृत्यु के साथ ही समाप्त नहीं हो जाता. लोग प्रेम साईं बाबा के अवतार की तैयारी में जुट गए होंगे. क्योंके 6 जुलाई 1963 को सत्य साईं बाबा ने घोषणा की थी कि साईं बाबा के 3 अवतार होने हैं . पहले शिरडी साईं बाबा .दूसरे वे खुद यानी सत्य साईं बाबा और तीसरे प्रेम साईं बाबा जो उनकी मृत्यु के 8 साल बाद पैदा होंगे. ज़ाहिर है सत्य साईं बाबा भी शिरडी साईं बाबा की मृत्यु के 8 साल बाद ही पैदा हुए थे. 8 साल का अंतराल अधिक होता है और संभव है तब तक कई लोग साईं बाबा के अवतार का दावा करें. स्वाभाविक है वही अपने आप को प्रेम साईं बाबा सिद्ध कर पाएगा जो बड़ी ठगी कर ले जाएगा या सत्य साईं बाबा के प्रभावशाली अनुयाई जिसे षडयंत्रित कर सत्य साईं बाबा के भक्तों के बीच स्थापित कर देंगे.
साईं बाबा के बहुत से भक्तों को अभी विश्वास ही नहीं हुआ है कि साईं बाबा मर चुके हैं क्योंके साईं बाबा ने घोषणा की थी कि वे 96 वर्ष की उम्र में यानी 2022 में मरेंगे. उनका विश्वास है ज़रूर कोई चमत्कार होगा और साईं बाबा जीवित हो उठेंगे. जबकि एक भक्त अनिल कुमार का कहना है कि चंद्रमा के कलेंडर के अनुसार वे 96 वर्ष के हो चुके थे. उसने दावा किया है कि एक बार बाबा की छवि उसे चंद्रमा पर नज़र आई थी. कुछ वर्ष पहले यह चर्चा फेल गई थी कि बाबा चंद्रमा में नज़र आएँगे. उस दिन बादल छए हुए थे परंतु अनिल का कहना है कि उसने बाबा को चंद्रमा में देखा था.
यह भी विडंबना ही है कि अनपढ़ लोग ही नहीं बेहद पढ़े लिखे लोगों की भी यह धरणा थी कि बाबा की भभूति व आशीर्वाद से बीमार लोग स्वस्थ हो जते हैं परंतु बाबा जब भी बीमार पड़े डॉक्टर ही उनके काम आए. चाहे वे पेरालाइज़ हुए हों तब या उन्हें दो बार हार्ट अटैक हुआ हो तब य उनकी अपेंडिक्स का ऑपरेशन हुआ हो तब अथावा मौत से पहले एक माह तक उनका इलाज़ चला हो तब हमेशा उनकी बीमारी को डॉक्टरों ने ही ठीक किया.
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2 comments:
जब तक अज्ञान और अविवेक का साम्राज्य है । ऐसे ढोंगी-परजीवी चमत्कारों की आड़ में पलते रहेंगे और उनके चमत्कारों की वैज्ञानिक व्याख्याएं करने वाले उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे । इस देश को जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत है वह है वैज्ञानिक सोच ।
my blog- संशयवादी विचारक
लोग अपने आप को इस तर्क से संतुष्ट कर लेते हैं कि इतने लोग मानते हैं तो कोई न कोई सच्चाई ज़रूर होगी. इस तरह की बातें और वैज्ञानिक बोध का न होना ही ऐसे बाबाओं को बढावा दे रहा है।
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