आज के समय में धर्म व्यक्ति को जीना नहीं सिखा सकता लड़ना तो सिखा सकता है. (Dedicated to Religious Critic & Scientific Development)
Monday 28 February 2011
सतोगुणी लोगों की सच्चाई
'राजनीति में धर्म क्षेत्र से जुड़े सतोगुणी लोगों के आने पर आपत्ति क्यों'
बाबा रामदेव के समर्थन में उमा भारती का आज का बयान.(27.02.11)
माले गाँव बम धमाके में सुनील जोशी मर्डर काण्ड में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को गिरफ़्तार किया(आज की खबर)
असीमानंद के बयान आ रहे हैं. एक पूर्व भाजपा सांसद हैं साक्षी महाराज. उन पर इण्टरमीडिएट कॉलेज की एक महिला प्रिंसिपल ने कई आरोप लगाए. आश्रम की जगह को लेकर उन पर मुकद्दमे दर्ज हुए हैं. भाजपा ने तमाम साधू- संतों को टिकट दिए और राम लहर में वे जीत भी गए. इन सतोगुणियों ने संसद में जाकर कौन सा ऐसा काम कर दिया.
भाजपा भी दूसरी पार्टियों से ज़्यादा सतोग़ुणी है. वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राजनीतिक शाखा है. संघ की तो पूरी इमारत ही सतोगुणो पर खड़ी है. भाजपा के सतोगुणी सांसदो के कारनामे दूसरों से कहां अलग हैं.
खुद उमा भारती कितनी सतोगुणी हैं यह भी सब जानते हैं. एक समय वे भाजपा की सबसे बड़ी फ़ायर ब्राण्ड थीं. और उसी की बदौलत मुख्य मंत्री की कुर्सी तक पहुंचीं.
अपनी पार्टी के एक कार्यकर्ता को उन्होंने थप्पड़ मार दिया. यह उनका अपनी पार्टी में सामंती व्यवहार है.
वे हर वर्ष केदार नाथ जाती हैं. अपने पार्टी कार्यकरताओ से राजा- महाराजाओं की तरह सेवा लेती हैं. चार मज़दूर उन्हें डोली में लाद के 14 किमी की खड़ी चढाई चढ़ते हैं और वे हाथ में माला लेकर जय हनुमान ज्ञान गुन सागर' गुनगुनाती हैं. यही सबसे बड़ी सच्चाई है कि ऐसे तमाम सतोगुणी मेहनतकश जनता के कंधों पर सवार हो कर अध्यात्म का सुख लूट रहे हैं. समाज में भी और अब राजनीति में भी. लेकिन जनता को अनंत काल तक मुर्ख नहीं बनाया जा सकता.
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