Saturday 1 January 2011

आरती का अर्थ

-राम प्रकाश अनंत
अभी मैं गणेश की आरती सुन रहा था. हर व्यक्ति ने कभी न कभी यह आरती सुनी ही होगी. इसमें करोडों लोगों की आस्था है. मेरा ध्यान आरती की इस पंति पर गया-बांझन को पुत्र देते निर्धन को माया. पित्रसत्तात्मक समाज में पुत्र रत्न सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है.जहां तक कि किसी स्त्री के केवल लड़कियां होने पर समाज उसे वैसे ही प्रताड़ित करता है जैसे बांझ स्त्रियों को करता है.जबकि बांझ स्त्री को प्रताड़ित करना भी स्त्री के अस्तित्व व गरिमा को नकार कर उसके अस्तित्व को संतति संवृद्धि के साधन के रूप में स्वीकार करना ही है. करोड़ों लोगों की आस्था की प्रतीक गणेश की आरती में बांझ स्त्ती के लिए पुत्र प्राप्ति की कल्पना से यही साबित होता है कि धर्मिक आस्थाएं सामंती सोच की द्योतक हैं और उनमें स्त्री एवं दलित की स्थिति बहुत अपमानजनक है.

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