Monday 10 January 2011

अन्याय का प्रतीक देवराज इंद्र

-राम प्रकाश अनंत
देवताओं का राजा इंद्र जब इतना ज़ालिम है तो देवता कितने होंगे यह विचार करने योग्य है. गौतम ऋषि की पत्नी के साथ बलात्कार किया जिसकी सज़ा आज के कानून में भी कम से कम 7 साल है.फिर इंद्र को देवतओं का राजा मानने वाले ही कहते हैं कि उस समय सतयुग था और या तो पाप होते ही नहीं थे और अगर होते थे तो उनका दंड बहुत सख़्त होता था. कहीं इस बात का उल्लेख नहीं मिलता कि इंद्र के इस कुकर्म के बाद किसी देवता ने उसका प्रतिकार किया हो या उसे कोई सज़ा हुई हो.
कुछ दिन पहले ही मैं हिंदुस्तान में हमारी महान नारियां के अंतर्गत किस्तवार छपी नल-दयमंती की कथा की एक किस्त पढ़ रहा था. मुझे याद आया जब मैं छोता था तब गांव में नाटक करने वाले लोग आते थे तभी मैंने नल-दयमंती का नाटक भी देखा था. कहानी इस प्रकार थी-दयमंती नाम की राज कुमारी का स्वयन्वर था.उसने नल नाम के राजकुमार की सुंदरता और वीरता की कहानियां सुन रखी थीं और वह उसी को पति बनाना चाहती थी.देवताओं का राजा इंद्र जो अपने इंद्रलोक में सुंदर सुंदर अप्सराओं के साथ रहता था दयमंती की सुंदरता से बहुत प्रभावित था और उससे शादी करना चाहता था.वह भी कुछ देवताओं के साथ स्वयम्वर में शामिल हुआ. जब उसे पता चला कि दयमंती नल को पति चुनना चाहती है तो उसने अपनी दिव्य शक्ति दे कई तरह के छल किए.जैसे कि दयमंती को सभी प्रतिभागी नल जैसे ही दिखाई देने लगे और उसे नल को पहचान ने में बहुत परेशानी हुई. अंततः दयमंती ने नल का वरण कर लिया तो इंद्र कुपित हो गया. उसने नल-दयमंती के सामने विकल्प रखा कि यदि वे शादी करेंगे तो उन्हें 12 वर्ष की घोर विपत्ति बर्दाश्त करनी पड़ेगी. उन दोनों ने उसे स्वीकार करते हुए शादी कर ली.उसके बाद नल-दयमंती 12 वर्ष तक वन में भटकते रहे और देवताओं का राजा इंद्र अपनी दिव्य शक्ति से उन्हें परेशान करता रहा.मसलन वे दोनों एक राजा के यहां छिप कर रह रहे थे. उन्होंने खूंटे पर हार टांग दिया तो इंद्र की दिव्य शक्ति से खूंटा हार को खा गया.
कैसी विडंबना है कि देवताओं का राजा कई दूसरे राजाओं की तरह ज़ालिम किस्म का था. वह अपने राज्य में न्याय के सामान्य सिद्धांत भी लागू नहीं करता था. उस धर्म युग से तो आज का कलयुग अच्छा है जिसमें कोई लड़की यदि अपनी पसंद के लडके से शादी करना चाहती है और कोई दूसरा लडका उससे ज़बर्दश्ती शादी करना चाहता है तो
कोर्ट भी लड़की क़ो उसकी पसंद के लडके से ही शादी करने का आदेश देगा. अगर दूसरा लडका उनके विरुद्ध शक्ति का इस्तेमाल करता है तो कोर्ट भी उसे अपराध ही मानेगा. लेकिन देवताओं का राजा इंद तो ग़लत-सही, न्याय-अन्याय से एकदम परे था.
कुछ लोग कहते हैं इंद्र कोई व्यक्ति नहीं बल्कि एक पदवीं थी. इंद्र के बारे में अधिकांशतः इसी तरह की कहानियां प्रचलित हैं.फिर तो और अधिक शर्म की बात है कि देवताओं के सभी राजा अन्याई और ज़ालिम किस्म के हुए हैं. ऐसे देवताओं का उनका भगवान ही मालिक है.

No comments: